दोस्तों कई बार हमें अपने दादा परदादा की जमीन को अपने नाम करवाने की जरूरत पड़ती है| अगर आप भी अपने दादा परदादा का जमीन अपने नाम करवाने की सोच रहे हैं| तो इस आर्टिकल को पूरा विस्तार से पढ़ें, क्योंकि इस आर्टिकल में मैं बताने वाला हूं-Dada Pardada Ka Jameen Apne Name Kaise Kare.
हमारे सामने कई बार ऐसी विकट परिस्थितियां आ जाती है, कि जब दादा परदादा की मौत के बाद किसी कारणवश पिता की भी मौत हो जाती है| तो ऐसी स्थिति में हमें दादा परदादा का जमीन अपने नाम कराने की आवश्यकता होती है| या फिर और भी ऐसे कारण होते हैं, जब हमें दादा परदादा की जमीन अपने नाम करवाने की जरूरत पड़ती है|
इस आर्टिकल में आपको पूरा सरकारी नियम के अनुसार यानी लीगल तरीके से दादा परदादा का जमीन अपने नाम करवाने की प्रक्रिया बताई जाएगी| लेकिन दादा परदादा का जमीन अपने नाम करवाने से पहले हमें समझ लेना चाहिए बंटवारा क्या होता है|
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बंटवारा क्या होता है?| Batwara Kya Hota Hai.
किसी भी परिवार में पिता की मौत के बाद या पिता की मौत से पहले संपत्ति का बंटवारा बच्चों के बीच किया जाता है| बटवारा करते समय इस बात का ध्यान रखें, कि प्रत्येक पुत्र को संपत्ति का बराबर बराबर हिस्सा मिले ताकि किसी प्रकार का कोई विवाद उत्पन्न ना हो| बंटवारा मुख्यतः तीन प्रकार का होता है|
- आपसी सहमति बंटवारा
- पंचायत सहमति बंटवारा
- रजिस्ट्री बंटवारा
आपसी सहमति बंटवारा
आपसी सहमति बंटवारा के अंतर्गत परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर आपस में संपत्ति का बंटवारा करते हैं| इसमें परिवार के सभी सदस्यों के मन मुताबिक आपसी बटवारा हो जाता है| जिसमें किसी प्रकार का कोई झगड़ा झंझट नहीं होता, लेकिन दूसरे दृष्टि से देखा जाए तो आपसी सहमति बंटवारा खतरनाक भी होता है|
क्योंकि अगर मान लीजिए आपसी सहमति बटवारा के अंतर्गत एक परिवार में चार भाई हैं, जो पिता की मौत के बाद संपत्ति का आपसी बटवारा करते हैं| चारों भाई आपस में समझ लेते हैं, कि मैं यहां का जमीन लेकर यहां पर रहूंगा| तुम वहां का जमीन लेकर वहां पर रहो, इसी प्रकार से चारों आपस में संपत्ति का बंटवारा कर लेते हैं|
लेकिन भविष्य में जब चारों भाइयों में फिर मतभेद पैदा होता है, कि मुझे यहां का जमीन ना लेकर वहां का जमीन लेना चाहिए था| तो इसी बात को लेकर फिर चारों भाई में आपस में झगड़ा होता है, इसलिए कभी भी आपसी सहमति बंटवारा नहीं करना चाहिए| क्योंकि भविष्य के दृष्टिकोण से आपसी सहमति बंटवारा खतरनाक साबित होता है|
पंचायत सहमति बंटवारा
आपसी सहमति बटवारा के समान ही पंचायती सहमति बटवारा भी होता है| लेकिन यह बटवारा गांव के सरपंच यानी मुखिया द्वारा किया जाता है| पंचायती सहमति बंटवारा के अंतर्गत गांव के मुखिया और गांव के कुछ प्रतिष्ठित लोगों की पंचायत बुलाई जाती है| इसके बाद अगर मान लीजिए दादा परदादा की जमीन का बंटवारा चार भाइयों में होने वाला है| तो पंचायत द्वारा आपसी सहमति के हिसाब से चारों भाइयों में जमीन जायदाद को बांट दिया जाता है|
पंचायती सहमति बटवारा में कभी-कभी एक भाई पंचायत मुखिया से मिलकर अच्छी जमीन अपने हिस्से में करवा लेता है| इस प्रकार की कहानियां हमारे समाज में दिखाई देती है, इसलिए कभी भी पंचायती सहमति बंटवारा भी नहीं करना चाहिए| क्योंकि पंचायती सहमति बंटवारा में प्रत्येक भाई को बराबर हिस्सा नहीं मिल पाता है, इसके अलावा पंचायत द्वारा प
रजिस्ट्री बंटवारा
आपसी सहमति बंटवारा, पंचायत सहमति बंटवारा से बहुत अच्छा रजिस्ट्री बटवारा माना जाता है| रजिस्ट्री बटवारा के अंतर्गत जमीन जायदाद को चारों भाइयों में बराबर बराबर हिस्से में बाटी जाती है| जमीन जायदाद का बंटवारा होने के बाद प्रत्येक भाई के नाम से वह जमीन जायदाद रजिस्ट्री कर दी जाती है| यानी जमीन जायदाद का बंटवारा कानूनी प्रक्रिया के हिसाब से होता है, इसलिए दादा परदादा की जमीन का बंटवारा हमेशा रजिस्ट्री बंटवारा के अंतर्गत करना चाहिए|
ताकि भविष्य में कभी भी किसी प्रकार की परेशानी उत्पन्न ना हों| रजिस्ट्री बटवारा दो प्रकार का होता है- १. अंचल अधिकारी के द्वारा रजिस्ट्री, २. कोर्ट के द्वारा रजिस्ट्री
1.अंचल अधिकारी के द्वारा रजिस्ट्री
जमीन जायदाद का चारों भाइयों में बंटवारा होने के बाद अंचल अधिकारी के द्वारा रजिस्ट्री की जाती है| यानी कानूनी तौर पर बंटवारे की जमीन पर भाई का मालिकाना हक हो जाता है| अंचल अधिकारी के द्वारा रजिस्ट्री करने में कम खर्च आता है|
2.कोर्ट के द्वारा रजिस्ट्री
जमीन जायदाद का चारों भाइयों में बंटवारा होने के बाद कोर्ट के द्वारा रजिस्ट्री की जाती है| कोर्ट के द्वारा रजिस्ट्री करने के लिए जमीन के मूल्य के हिसाब से पैसे का हिसाब लगाया जाता है| इस बंटवारे में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं किया जाता है, प्रत्येक भाई को बराबर बराबर हिस्सा कानूनी प्रक्रिया के आधार पर दिया जाता है|
दादा परदादा का जमीन अपने नाम कैसे करें?| Dada Pardada Ka Jameen Apne Name Kaise Kare.
दादा परदादा का जमीन अपने नाम करवाने से पहले इस आर्टिकल में हमने बंटवारा के बारे में आप लोगों को बता दिया है| दादा परदादा का जमीन बंटवारे में बताए गये प्रक्रिया के हिसाब से अपने नाम करवा सकते हैं| लेकिन एक बार फिर मैं आपको बताना चाहता हूं कि कभी भी आपसी सहमति बटवारा से जमीन जायदाद का बंटवारा नहीं करना चाहिए| और ना ही पंचायती सहमति बटवारा से जमीन जायदाद का बंटवारा करना चाहिए| जब भी जमीन जायदाद का बंटवारा करे, तो हमेशा रजिस्ट्री बंटवारा के आधार पर करना चाहिए|
जिस प्रकार नया जमीन खरीदने के बाद आप जमीन का रजिस्ट्री करवाते हैं, ठीक उसी प्रकार से दादा परदादा की जमीन को अपने नाम रजिस्ट्री करवा सकते हैं| जमीन की रजिस्ट्री करवाने के बाद दाखिल खारिज कराना पड़ता है इसके बाद जमीन आपके नाम से हो जाती है| यानी जमीन पर दादा परदादा का नाम कट के आपका नाम हो जाता है, दादा परदादा की जमीन अपने नाम करने के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाएं-
- दादा परदादा की जमीन को अपने नाम करवाने के लिए सबसे पहले आपको जमीन से संबंधित सभी दस्तावेज संलग्न कर लेना है| जैसे : आधार कार्ड, पैन कार्ड, रजिस्ट्री स्टांप, पैसा, फोटो, आदि|
- सभी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करने के बाद आपको अपने क्षेत्र के सर्किल ऑफिस में जाना होगा| सर्किल ऑफिस में जाने के बाद कर्मचारी से दादा परदादा की जमीन को अपने नाम करवाने से संबंधित बात करनी है|
- कर्मचारी द्वारा दादा परदादा की जमीन अपने नाम करने से संबंधित बता दिया जाएगा| इसके लिए आपको क्या करना है, कर्मचारी यह भी आपको अच्छे से समझा देता है|
- आपको जमीन से जुड़े हुए दस्तावेज और खुद का सभी दस्तावेज रजिस्ट्री ऑफिस में जमा कर देना है| जमीन की रजिस्ट्री होने के लिए फीस का भुगतान कर देना है|
- इसके बाद रजिस्ट्री ऑफिस द्वारा आपके दस्तावेजों की जांच की जाएगी, इसके अलावा जिस परिवार की जमीन अपने नाम करना चाहते हैं, उस परिवार से आपका क्या संबंध है| उस परिवार में कौन-कौन हैं, आप क्यों उस जमीन को अपने नाम करवाना चाहते हैं, आदि बातों की जांच की जाएगी|
- जमीन से जुड़े दस्तावेज तथा अन्य दस्तावेज वेरीफाई करने के बाद रजिस्ट्री ऑफिस द्वारा आप के दादा परदादा की जमीन को आपके नाम कर दिया जाता है| दादा परदादा की जमीन आपके नाम रजिस्ट्री होने में लगभग 8 दिन से 12 दिन का समय लग जाता है|
- दादा परदादा की जमीन को अपने नाम करवाने के बाद आप घर बैठे अपने मोबाइल फोन से गाटा नंबर से यह जानकारी पता कर सकते हैं| कि दादा परदादा की जमीन आपके नाम हो गई है अथवा नहीं
अपने दादा परदादा का जमीन अपने नाम कैसे कराएं? (विडीयो देखें)
Dada Pardada Ka Jameen Apne Name Kaise Kare. (FAQ)
पैतृक संपत्ति यानि दादा परदादा की जमीन जायदाद को अपने नाम करने की प्रक्रिया इस आर्टिकल में बताया गया है| जिसे पढ़कर आप बड़ी आसानी से अपने दादा परदादा की जमीन को अपने नाम करवा सकते हैं|
पैतृक जमीन पर कानूनी रूप से पोते का हक होता है|
दादा परदादा और आपके पिता से मिली हुई कुल संपत्ति ही पैतृक संपत्ति कहलाती है| यानी जो संपत्ति परदादा से स्थानांतरित होकर दादा को मिलती है, दादा से स्थानांतरित होकर आपके पिताजी को मिली और आपके पिताजी से स्थानांतरित होकर आपको मिलती है, वही पैतृक संपत्ति कहलाती है|
एक पिता अगर चाहे तो अपनी कमाई हुई संपत्ति से बेटी को बेदखल कर सकता है| लेकिन अगर पिता को पैतृक संपत्ति मिली हुई है, तो उस पर बेटे का अधिकार होगा यानी दादा की संपत्ति पर बेटे का अधिकार होता है|
स्वयं की कमाई से की हुई संपत्ति पर दावा नहीं किया जा सकता है| लेकिन अगर चार पीढ़ियों की पैतृक संपत्ति है, तो उस पर दादा की संपत्ति पर पोती अपना अधिकार का दावा कर सकती है|
दादा की संपत्ति पर कानूनी वारिस उसकी पत्नी, बेटी, बेटा को माना जाता है|
उत्तराधिकारी की सहमति के बिना एक पिता कभी भी पैतृक संपत्ति को बेच नहीं सकता है| जैसे मान लीजिए अगर एक पिता के 2 पुत्र हैं और पिता को पैतृक संपत्ति विरासत में मिली हुई है| तो पैतृक संपत्ति पर पोते का भी अधिकार होगा, इसलिए पिता बिना बेटों की सहमति से दादा की संपत्ति को बेच नहीं सकता है|
निष्कर्ष
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने Dada Pardada Ka Jameen Apne Name Kaise Kare. इस प्रक्रिया को विस्तार से बताया है| पैतृक संपत्ति पर पोते का अधिकार होता है, इसलिए कानूनी तौर पर भी आप दादा परदादा की जमीन को अपने नाम कर सकते हैं| लेकिन इसके कुछ नियम शर्त हैं| अगर आपको दादा परदादा की जमीन अपने नाम करने से संबंधित कोई सवाल है, तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं|
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