दोस्तों आज के समय में यह सवाल प्रत्येक परिवार के लिए बहुत जरूरी होता है कि Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare. क्योंकि प्रत्येक परिवार में वर्तमान पीढ़ी अपने दादा परदादा अर्थात पुश्तैनी जमीन का बंटवारा करना चाहती है| लेकिन दो भाइयों में जमीन का बंटवारा करने का सही तरीका ना होने के कारण परिवार में आपसी झगड़े होते हैं| परिवार में आपसी झगड़ा ना हो, इसके लिए इस आर्टिकल को पढ़कर आप बिना किसी झगड़े के पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कर सकते हैं|
परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी जो संपत्ति स्थानांतरण होते हुए वर्तमान पीढ़ी के पास आती है, वही पुश्तैनी संपत्ति कहलाती है| जैसे : जमीन, प्लाट, भूखंड, चल-अचल संपत्ति आदि| पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही संपत्ति पर यानी पुश्तैनी जमीन पर परिवार के किन सदस्यों का अधिकार होता है| पुश्तैनी जमीन परिवार के किन सदस्यों के बीच बांटा जाना चाहिए, इसकी जानकारी इस आर्टिकल में बताया जाएगा|
आज के समय में प्रत्येक परिवार पुश्तैनी जमीन बांटना चाहता है और सोचता है कि बिना किसी झगड़े का आपसी सहमति से पुश्तैनी जमीन का बंटवारा हो जाए| लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है, इस आर्टिकल में मैं आपको पुश्तैनी जमीन का बटवारा करने का कई तरीका बताने वाला हूं| इसके अलावा पुश्तैनी जमीन का बंटवारा का नियम और प्रक्रिया के बारे में भी बताऊंगा| ताकि बिना किसी झगड़ा लड़ाई के कोई भी परिवार अपने पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कर सके|
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पैतृक जमीन/संपत्ति क्या होती है | Paitrik Jameen Kya Hoti Hai.
जो जमीन अथवा संपत्ति एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी के पास स्थानांतरण होती रहती है, उसी पैतृक जमीन या पुश्तैनी जमीन कहते हैं| जैसे : परदादा की मौत के बाद उनकी जमीन दादा को मिली होगी, दादा की मौत के बाद उनकी जमीन पिता को मिली होगी, पिता की मौत के बाद उनकी जमीन बच्चों को मिली होगी| तो बच्चों को मिली हुई यह जमीन पुश्तैनी जमीन कहलायेगी|
यानी पिछले तीन चार पीढ़ियों से कोई भी जमीन अथवा संपत्ति स्थानांतरण होते हुए चली आ रही है, तो वह वर्तमान परिवार के सदस्यों के लिए पुश्तैनी जमीन/संपत्ति कहलाएगी| पुश्तैनी संपत्ति को परिवार के प्रत्येक सदस्यों में बराबर बराबर हिस्सा से बांट दिया जाता है| लेकिन पुश्तैनी जमीन को परिवार में बांटने के लिए कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जो आगे इस आर्टिकल में जानेंगे|
पुश्तैनी जमीन/पैतृक संपत्ति पर किसका हक होता है?
पुश्तैनी जमीन अथवा पैतृक संपत्ति पर परिवार के सदस्यों का हक होता है| लेकिन अगर हिंदू उत्तराधिकारी संशोधन कानून 2005 की बात करें, तो पैतृक संपत्ति पर बेटे और बेटियों का बराबर का अधिकार होता है| कानून संशोधन से पहले पैतृक संपत्ति पर केवल पुरुषों यानी पुत्रों का अधिकार होता था और पुश्तैनी जमीन को केवल बेटों के बीच बांटा जाता था|
लेकिन अब उत्तराधिकारी अधिनियम 1956 के प्रावधान 6 में संशोधन करके पुश्तैनी जमीन पर बेटियों के अधिकार को भी शामिल कर दिया गया है| यानि अब पुश्तैनी जमीन अथवा पैतृक संपत्ति पर बेटी और बेटे दोनों का हक होगा| अब किसी भी पैतृक संपत्ति को पिता, बेटा और बेटी के बीच बराबर बराबर बांटा जाता है| हां यह अलग बात है कि बेटी की शादी होने के बाद वह ससुराल चली जाती है और अपनी मर्जी से अपने हिस्से में आए हुए पैतृक संपत्ति को पिता और भाइयों के बीच बांट देती है|
पैतृक जमीन/पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा कैसे करें?| Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare.
दोस्तों जैसा कि इस आर्टिकल में मैंने आपको बताया पैतृक जमीन पर बेटे और बेटी का बराबर का हक होता है| लेकिन भारत के प्रत्येक राज्यों में पैतृक जमीन के बंटवारे को लेकर अलग-अलग नियम कानून बनाए गए हैं| इस आर्टिकल में हम आपको बिहार राज्य का पैतृक जमीन के बंटवारे को लेकर नियम कानून क्या है, इसके विषय में बताने वाले हैं| पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कैसे करें Bihar, पुश्तैनी जमीन के बंटवारे को लेकर कानूनी तौर पर और पंचायती तौर पर कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखा जाता है|
आपसी सहमति से पैतृक जमीन का बंटवारा कैसे करें?
- अगर आप पुश्तैनी जमीन को आपसी सहमति से बांटना चाहते हैं, तो परिवार के प्रत्येक सदस्य में आपसी सहमति अवश्य होना चाहिए|
- बिना किसी लड़ाई झगड़े के आपसी संपति बंट जाए तो बहुत अच्छा है| लेकिन यदि किसी सदस्य द्वारा आपत्ति जताई जाती है, तो आपसी सहमति से पैतृक संपत्ति का बंटवारा मुश्किल हो जाता है|
- बिहार राज्य में पुश्तैनी जमीन का बंटवारा बहुमत के आधार पर होता है| जैसे मान लीजिए अगर किसी परिवार में 6 सदस्य हैं, जिसमें से 4 सदस्य पुश्तैनी जमीन का बंटवारा चाहते हैं| तो उन्हें बंटवारे का परमिशन मिल जायेगा| लेकिन कई राज्यों में इस प्रकार की सहमति को मान्यता नहीं दी जाती है|
- आपसी सहमति से पैतृक जमीन का बंटवारा हो जाता है, लेकिन बंटवारा होने के बाद जमीन की रजिस्ट्री अवश्य करा लेना चाहिए|
पंचों की सहमति से Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare.
- आज भी बहुत से गांव में ऐसी परंपरा है, कि 5 पंचों द्वारा जमीन का निर्णय किया जाता है| पंचों के द्वारा ही परिवार में पुश्तैनी जमीन का बराबर बराबर बंटवारा किया जाता है|
- पंचों द्वारा पुश्तैनी जमीन को बांटते समय परिवार के प्रत्येक सदस्य को बराबर बराबर बोलने का मौका दिया जाता है| इसके बाद ही जमीन का बंटवारा किया जाता है|
- पंचों की सहमति से पैतृक जमीन का बंटवारा होते समय गांव के मुखिया और गांव के सम्मानित पांच व्यक्तियों का उपस्थित होना आवश्यक होता है|
- इसके अलावा बंटवारे के दौरान एक पंच लाइन तैयार की जाती है, जिसे पंचनामा कहते हैं| पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बाद इस पंचनामा पर पांचों पंचों के हस्ताक्षर होते हैं|
- पंचों की सहमति से पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा होने के बाद अलग-अलग खातेदारों के अनुसार जमाबंदी प्रारूप तैयार किया जाता है| इसके अलावा पंचों की सहमति से कृषि भूमि का बंटवारा भी कर सकते हैं|
- वर्तमान समय में भारत में बिहार इसके अलावा अन्य कुछ राज्य है, जहां पर पंचायती बंटवारे को मान्यता दी गई है| जिसमें पुश्तैनी जमीन का बंटवारा पंचायत की सहमति से परिवार के सदस्यों के बीच हो जाता है|
पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री कैसे करें?| Pushtaine Jamin Ke Registry Kaise Kare.
- पुश्तैनी जमीन के बंटवारे के बाद जमीन की रजिस्ट्री बंटवारा को बहुत महत्व दिया जाता है|
- पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद अदालत द्वारा रजिस्ट्री के बंटवारे की जांच की जाती है| इसके बाद हकदारों को पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री ट्रांसफर कर दी जाती है|
- पुश्तैनी जमीन के बंटवारे के बाद कानूनी तौर पर पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री अवश्य करवाना चाहिए| क्योंकि पुश्तैनी जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद भविष्य में होने वाले वाद-विवाद से बचा जा सकता है|
पुश्तैनी जमीन/पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज
दोस्तों अगर आप के परिवार में पुश्तैनी जमीन का बंटवारा हो चुका है, और आप पुश्तैनी संपत्ति का कानूनी हक प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्री करवाना चाहते हैं| तो आपके पास निम्नलिखित दस्तावेज होने चाहिए|
- शपथ पत्र (Affidavit)
- राशन कार्ड (Ration Card)
- आधार कार्ड (Aadhar Card)
- जमीन रजिस्ट्री (Land Registry)
- उस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र, जिसके हिस्से की जमीन का बंटवारा किया जा रहा है- जैसे : दादा, पिता (Death Certificate)
- जमीन से संबंधित दस्तावेज (Land Related Documents)
- ईमेल आईडी (Email ID)
- मोबाइल नंबर (Mobile Number)
- पासपोर्ट साइज फोटो (Passport Size Photo)
पुश्तैनी जमीन/पैतृक संपत्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- एक बार अगर पुश्तैनी जमीन वर्तमान परिवार के सदस्यों के नाम हो जाती है, तो उस पर कानूनी रूप से भी वर्तमान सदस्यों का हक होता है|
- अगर पुश्तैनी जमीन परिवार के किसी सदस्य को नहीं मिल रही है, तो वह पुश्तैनी जमीन पर अधिकार प्राप्त करने के लिए कोर्ट में मुकदमा भी दायर कर सकता है|
- अगर पुश्तैनी जमीन को बेचना है तो परिवार के सभी हकदार सदस्यों से इजाजत लेनी पड़ती है| बगैर उनकी इजाजत का कोई भी व्यक्ति पैतृक संपत्ति को बेच नहीं सकता है|
- पैतृक संपत्ति पर यानी दादा परदादा की जमीन पर पिता, पुत्र और पुत्री तीनों का बराबर का अधिकार होता है|
- पैतृक संपत्ति पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरण होती रहती है| इसलिए वर्तमान परिवार का ही पैतृक संपत्ति पर अधिकार होता है|
- एक बार पैतृक संपत्ति का बंटवारा होने के बाद प्रत्येक परिवार के सदस्य को मिला हिस्सा उसकी खुद की संपत्ति बन जाती है|
- गैर विभाजित परिवार में पैतृक संपत्ति की देखरेख परिवार का मुखिया करता है| लेकिन जब बात मालिकाना हक की होती है, तो पैतृक संपत्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों का भी अधिकार होता है|
Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare. (FAQ)
पैतृक संपत्ति पर वर्तमान परिवार का अधिकार होता है| परिवार में पिता पुत्र और पुत्री तीनों का पैतृक संपत्ति पर बराबर का अधिकार होता है| इसलिए पंचों की सहमति से, आपसी सहमति से पैतृक संपत्ति का बंटवारा पिता पुत्र और पुत्री के बीच बराबर होना चाहिए| हां यह अलग बात है कि बेटी की शादी होने के बाद वह ससुराल चली जाती है और अपने हिस्से की पैतृक संपत्ति अपने भाई अथवा पिता को दे सकती है|
पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा लेने के लिए आप परिवार के अन्य हक सदस्यों से बातचीत करके आपसी सहमति से पैतृक संपत्ति में हिस्सा ले सकते हैं| अगर आपको पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं मिल रहा है, तो आप अदालत में मुकदमा दायर कर सकते हैं|
तीन भाइयों के बीच संपत्ति का बंटवारा होते समय तीनों भाइयों को वहां पर उपस्थित होना चाहिए| इसके बाद तीनों भाई आपसी सहमति से या पंचों की सहमति से Paitrik Jamin Ka Batwara कर सकते हैं| लेकिन अगर तीनों भाइयों के बीच सहमति बंटवारा नहीं हो पा रहा है, तो ऐसी स्थिति में अदालत की सहमति से बंटवारा कराया जाता है|
अगर कोई व्यक्ति संपत्ति का मालिक नहीं है लेकिन फिर भी कम से कम 12 साल से संपत्ति पर कब्जा करके रह रहा है| और इन 12 सालों के दौरान संपत्ति मालिक ने उसे बेदखल करने के लिए कोई कानूनी प्रयास नहीं किया है| तो ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति प्रतिकूल कब्जे के लिए संपत्ति पर दावा कर सकता है|
पैतृक संपत्ति पर दावा करने की समय सीमा लगभग 12 वर्ष की होती है| हालांकि दावे में देरी का कारण अगर सही है, तभी उसे अदालत द्वारा स्वीकार किया जाता है| लेकिन अगर आप पैतृक संपत्ति को बेचने से रोकना चाहते हैं, तो आपको बिक्री अवधि के 3 साल के भीतर दीवानी मुकदमा करना होगा|
दोस्तों जैसा कि इस आर्टिकल में हमने आपको बताया है कि पैतृक संपत्ति पर पिता, पुत्र और पुत्री तीनों का अधिकार होता है| इसलिए केवल पिता अकेले ही पैतृक संपत्ति से जुड़ा फैसला नहीं ले सकता है|
पैतृक संपत्ति पर पिता, पुत्र, पुत्री तीनों का अधिकार होता है| इसलिए बिना पुत्र और पुत्री की सहमति लिए पिता अकेले पैतृक संपत्ति को बेच नहीं सकता है|
दो पक्षों के बीच जमीन का बंटवारा पंचों की सहमति से किया जाता है| या आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा किया जाता है|
दादा द्वारा खुद की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति पर पोते का कोई अधिकार नहीं होता है| दादा अपनी खुद से अर्जित की गई संपत्ति को अपने मनचाहे व्यक्ति को दे सकता है| लेकिन दादा के पास जो पैतृक संपत्ति है, उस पर पोते का अधिकार होता है|
एक बहू ससुर की पैतृक संपत्ति और ससुर द्वारा स्वअर्जित की गई संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती है| लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद एक विधवा के रूप में पति द्वारा स्वअर्जित की गई संपत्ति पर उसका अधिकार होता है|
निष्कर्ष
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने Paitrik Jamin Ka Batwara Kaise Kare. इसके विषय में विस्तृत जानकारी बताया हुआ है| पैतृक संपत्ति या पुश्तैनी जमीन पर वर्तमान परिवार के सदस्य पिता, पुत्र और पुत्री का अधिकार होता है| पुश्तैनी जमीन का बंटवारा पंच की सहमति से, आपसी सहमति से अथवा कानून की मदद से किया जाता है| पुश्तैनी जमीन का बंटवारा करने से संबंधित अगर आपका कोई सवाल है, तो कमेंट करके पूछ सकते हैं|