Kala Pani Ke Saza Kya Hai : दोस्तों आपने अक्सर समाज में, अपने ऑफिस में लोगों को कहते सुना होगा, कि काला पानी की सजा बड़ी भयानक होती है| या कभी-कभी बॉस या मुखिया अपने कर्मचारी को डांटते हुए कहता है कि अगर तुमने काम सही से नहीं किया तो मैं तुम्हें कालापानी भेज दूंगा|
ऐसे में सवाल आता है कि काला पानी की सजा क्या हैं? काला पानी जेल का इतिहास, क्यों लोग काला पानी की सजा का नाम सुनकर डर जाते हैं| आज के आर्टिकल में मैं आपको काला पानी की सजा से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से बताने वाला हूं|
जैसे : काला पानी का जेल कहां हैं, काला पानी जेल में कितने कैदी हैं, काला पानी की सजा कब और किसने शुरू की, काले पानी की सजा कब समाप्त हुई सेलुलर जेल में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची आदि|
इसे भी पढ़ें
रिलायंस पेट्रोल पंप कैसे खोलें | 5 मिनट में चोरी हुआ मोबाइल कैसे पता करें |
CCC कोर्स क्या है | CCC कोर्स की पूरी जानकारी | स्वयं सहायता समूह क्या हैं, पूरी जानकारी पायें |
कालापानी की सजा कब और किसने शुरू की?
जिन कैदियों को सेल्यूलर जेल की सजा मिलती है यानी उसे काला पानी की सजा मिली हुई है| सेल्यूलर जेल की सजा को काला पानी की सजा कहते हैं| क्योंकि सेल्यूलर जेल भारत से हजारों किलोमीटर की दूरी पर अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनाई गई है| इसके चारों तरफ पानी ही पानी फैला हुआ है, भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजी हुकूमत प्रताड़ित करने के लिए सेल्यूलर जेल यानी काला पानी की सजा देती थी|
जहां पर सैनिकों के हाथ पैरों में बेड़ियों जकड़ कर बांध दिए जाते थे और उन्हें वहां पर छोड़ दिया जाता था| चारों तरफ समुद्र का पानी होने की वजह से वहां से आना असंभव होता है| काला पानी की सजा होने का मतलब हुआ, सारी दुनिया से एकदम अलग हो जाना| इसके अलावा काला पानी की सजा काट रहे कैदियों को बड़ी यातनाएं दी जाती है| यही वजह है कि काला पानी की सजा का नाम सुनकर आज भी लोगों का रूह कांप जाता है|
ऐसा माना जाता है कि जिस भी कैदी को काला पानी की सजा हो जाती है, उसे वहां पर खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाता है| और समुद्र का पानी खारा होने के कारण पी नहीं पाता है, यानी भूख प्यास के कारण तड़प तड़प कर मर जाता है| 1857 क्रांति के बाद अंग्रेजों ने यह विचार किया कि भारत में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले सेनानियों को ऐसी जगह भेज दिया जाए, जहां से वे कभी वापस लौट ना पाए| और उन्हें इतनी यातनाएं दी जाए ताकि वहीं पर मर जाएं, इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजों ने काला पानी जेल का निर्माण किया था|
काला पानी की सजा क्या हैं? (Highlight)
नाम | काला पानी यानी सेल्यूलर जेल |
निर्माण शुरू हुआ | 1896 |
निर्माण पूर्ण हुआ | 1906 |
निर्माण करवाया | ब्रिटिश सरकार |
निर्माण लागत | ₹517000 |
स्थान | अंडमान निकोबार द्वीप |
काला पानी जेल में कैदियों से क्या काम कराया जाता था?
काला पानी जेल में जिन कैदियों को रखा जाता था, उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा घोर यातनाएं दी जाती थी| कैदियों के हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ियां हमेशा बंधे होते थे, इसके अलावा रोजाना उनसे 30 पाउंड नारियल और सरसों का तेल पेरने का काम लिया जाता था| और यदि कोई भी कैदी काम को करने से इंकार कर देता था, तो उसे अंग्रेज सैनिकों द्वारा बुरी तरह से पीटा जाता था, और तब तक पीटा जाता जब तक कैदी काम करने के लिए राजी ना हो जाए|
कैदी वहां से भाग भी नहीं सकते थें, क्योंकि उसके चारों तरफ समुद्र था| यही वजह है काला पानी की सजा मौत की सजा से भी बढ़कर है| क्योंकि मौत इंसान को चाहे जब आ जाए, जबकि काला पानी की जेल में बंद कैदी तड़प तड़प कर मरते हैं|
काला पानी जेल का इतिहास और निर्माण
भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से युद्ध कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों से परेशान होकर अंग्रेजी हुकूमत ने यह विचार किया कि इन स्वतंत्रता सेनानियों को ऐसी जगह भेज दिया जाए, जहां से वे वापस लौट ना पाए और वहीं पर तड़प तड़प मर जाएं|
इसी विचार को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने 1896 में काला पानी जेल का निर्माण शुरू किया था| जो बनकर 1906 में तैयार हुआ यानी काला पानी जेल को बनने में कुल 10 साल लग गए| काला पानी जेल का निर्माण होने के बाद जो भी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ काम करता, उसे काला पानी की सजा दे दी जाती थी|
काला पानी जेल को बनाने में कितना खर्च आया था?
दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया कि काला पानी जेल का निर्माण 1896 से शुरू हुआ था, जो कि 1906 में बनकर तैयार हुआ| उस समय काला पानी जेल का निर्माण करने में ₹517000 की लागत आई थी| काला पानी जेल का मुख्य भवन लाल ईटों से बनाया गया है, इसके अलावा इस जेल में जो भी ईंटें लगाई गई है, उसे बर्मा यानी मयांमार से मंगवाया गया था|
काला पानी जेल के अंदर 7 शाखाओं के बीच में एक टावर लगाया गया था, इसी टावर के माध्यम से सभी कैदियों पर नजर रखी जाती थी| इसके अलावा टावर पर एक बड़ा सा घंटा लगाया गया था, जब भी किसी खतरे का अंदेशा होता था तो जेल प्रशासन को अलर्ट करने के लिए घंटा बजाया जाता था|
काला पानी का जेल कहां हैं? और Kala Pani Ke Saza Kya Hai.
अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में काला पानी का जेल स्थित हैं| काला पानी जेल को सेल्यूलर जेल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर प्रत्येक कैदी को अलग-अलग सेल में रखा जाता है, ऑक्टोपस की तरह यह जेल सात शाखाओं में फैली हुई है| प्रत्येक कैदी को अलग-अलग सेल में इसलिए रखा जाता है, कि कोई भी कैदी दूसरे कैदी से बात ना कर सके| इसके अलावा भारत की आजादी को लेकर कोई योजना अथवा साजिश ना रच सके|
काला पानी जेल यानि सेल्यूलर जेल में 3 मंजिल वाली कुल 7 शाखाएं बनाई गई थी, जिसमें कुल 696 सेल उपलब्ध थी| प्रत्येक सेल का साइज 4.5×2.7 मीटर था जिसमें किसी प्रकार का कोई शयनकक्ष नहीं था, लेकिन हां प्रत्येक सेल में 3 मीटर की ऊंचाई पर एक खिड़की लगाई गई थी| अगर कोई कैदी चाहता तो बड़ी आसानी से इस खिड़की के माध्यम से सेल से बाहर आ सकता था| लेकिन यहां से भागना असंभव था, क्योंकि काला पानी जेल के चारों तरफ समुद्र का पानी बहुत दूर तक फैला हुआ था|
इसके अलावा अलग-अलग सेल में कैदियों को रखने का एक मकसद यह भी होता है, कि कैदी अकेलेपन से परेशान होकर वही रहना अपनी जिंदगी बना ले और वहां से भागने की कभी ना सोचे| क्योंकि जब कोई भी कैदी एक दूसरे से बात नहीं कर पाएंगे, तो उनके अंदर कभी बगावत की भावना नहीं आएगी| और ना ही किसी प्रकार की कोई योजना अथवा साजिश बना पायेंगे|
काला पानी की सजा सबसे पहले किसे दी गयी?
सेल्यूलर जेल यानी काला पानी जेल में सबसे पहले जेलर डेविड बेरी और मेजर जेम्स पैटिंसन वाकर की सुरक्षा में 200 विद्रोहियों को लाया गया था| इसके बाद पाकिस्तान के करांची से 733 विद्रोहियों को काला पानी के जेल में लाया गया था| इसलिए बाद भारत और बर्मा देश से भी स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजी हुकूमत ने काला पानी की सजा देने के लिए कैदी बनाकर यहां लेकर आई थी|
काला पानी जेल से भागने पर मिलने वाली सजा I Kala Pani Ke Saza Kya Hai
दोस्तों कालापानी जेल से भागना पूरी तरह से असंभव था, लेकिन हां फिर भी कई कैदियों ने भागने की कोशिश की मगर कामयाब ना हो सके| ऐसा कहा जाता है कि एक बार 238 कैदियों ने काला पानी जेल से भागने की कोशिश की, तो उन्हें पकड़ लिया गया था| इसके बाद जेल अधीक्षक वाकर ने जेल से भागने के जुर्म में उन कैदियों को तुरंत फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया था|
काले पानी की सजा कब समाप्त हुई?
1930 में देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह के सहयोगी महावीर सिंह ने यहां होने वाले अत्याचार के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू किया था| लेकिन जेल के कर्मचारियों ने उन्हें जबरदस्ती दूध पिला दिया, जिनके कारण उनकी मौत हो गई थी| इसके बाद जेल प्रशासन ने उनके शव के साथ एक बड़ा सा पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेकवा दिया था|
अंग्रेजों द्वारा हो रहे यह अमानवीय अत्याचारों का पता जब महात्मा गांधी और रविंद्र नाथ टैगोर को लगा, तो उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप किया| जिसका नतीजा यह हुआ कि 1937 से 38 के बीच काला पानी जेल में बंद कैदियों को उनके देश भेज दिया गया यानी काला पानी जेल में बंद कैदियों को मुक्ति मिल गई थी|
इसके बाद जब भारत देश स्वतंत्र हुआ तो काला पानी जेल की दो शाखाओं को ध्वस्त कर दिया गया था| 1969 में शेष बची हुई तीन शाखाएं और टावर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर किया गया था| जबकि 1963 में यहां पर गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल खोला गया, जिनमें वर्तमान समय में 500 बिस्तर उपलब्ध है, इसके अलावा 40 डॉक्टर मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं|
क्या मैं काला पानी जेल देख सकता हूं? और देखने की फीस कितनी हैं?
जी हां वर्तमान समय में कोई भी व्यक्ति काला पानी जेल यानी सेल्यूलर जेल देख सकता है, काला पानी जेल सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है| लेकिन राष्ट्रीय छुट्टी, अवकाश के दिनों बंद रहता है| इसलिए अगर आप भी काला पानी जेल देखना चाहते हैं, तो अवश्य जाकर देख सकते हैं|
काला पानी जेल देखने की फीस ₹30 निर्धारित की गई है, लेकिन अगर आप अंदर जाकर फोटो खींचना चाहते हैं, तो कैमरा के साथ ₹200 और अगर आप वीडियोग्राफी करना चाहते हैं, तो आपको ₹1000 फीस देना पड़ता है| और अगर कोई व्यक्ति यहां पर फिल्म शूटिंग करना चाहता है, तो इसके लिए सबसे पहले काला पानी विभाग से परमिशन लेना होगा और प्रत्येक दिन शूटिंग के लिए ₹10000 का चार्ज देना पड़ता है|
सेलुलर जेल में स्वतंत्रता सेनानियों की सूची
Kala Pani Ke Saza Kya Hai : दोस्तों वैसे तो काला पानी जेल में जाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट काफी लंबी है, जिन्होंने देश की आजादी में भाग लिया था, और इसी कारण उन्हें काला पानी जेल यानी सेल्यूलर जेल भेजा गया था| काला पानी जेल की सजा पानी वाले प्रमुख नाम इस प्रकार है- बटुकेश्वर दत्त, विनायक दामोदर सावरकर, बाबूराव साहू सावरकर, सोहन सिंह, मौलाना अहमद उल्ला, मौलवी अब्दुल रहीम सादिकपुरी, मौलाना फजल ए हक खैराबादी, एस चंद्र चटर्जी, डॉक्टर दीवान सिंह, योगेंद्र शुक्ला, वामन राव जोशी, गोपाल भाई परमानंद आदि|
काले पानी की सजा नरक के बराबर
काले पानी की सजा का नाम सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है| क्योंकि यहां पर जो सजा दी जाती है, वह बहुत ही अमानवीय होती है| जैसे :
- कोल्हू के बैल की तरह इस जेल में बंद कैदियों से तेल पेरने का काम लिया जाता था, और अगर कोई कैदी काम करने से मना कर दे| तो उसे अंग्रेज सैनिक द्वारा इतना कोड़े मारे जाते थे, वह ना तो बैठ सकता था और ना आराम कर सकता था|
- इसके अलावा जो कैदी सरकारी हुकूमत से बगावत करने की योजना बनाती थी, पता लगने पर उन्हें फांसी की सजा दे दी जाती थी|
- काला पानी जेल की सजा काट रहे कैदियों को तीन प्रकार की बेड़ियां पहनाई जाती थी, पहली बेड़ी चैन की तरह होती थी| जबकि दूसरी प्रकार की बेड़ी हाथ और पैरों में पहनाया जाता था, जिसे पहनने के बाद कैदी उठ बैठ नहीं पाते थे|
- तीसरी प्रकार की बेड़ी उस कैदी को पहनाई जाती थी, जिसे कठोर दंड दिया जाता था| क्योंकि इस बेड़ी को पहनने के बाद कैदी ने तो चल सकता था, ना बैठ सकता था|
- इसके अलावा काला पानी जेल में बंद कैदियों से दिन रात काम करवाया जाता था, इसके अलावा सैनिकों और जेलर द्वारा और कई प्रकार की यातनाएं बंद कैदियों को दी जाती थी|
Kala Pani Ke Saza Kya Hai (FAQ)
काला पानी की सजा में कैदी को अंडमान निकोबार दीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनी हुई एक ऐसे स्थान पर भेज दिया जाता है |जहां पर उसके चारों तरफ समुद्र ही समुद्र होता है| जहां से कोई भी निकल नहीं सकता और वहीं पर उसकी मृत्यु हो जाती है|
जिन कैदियों का काले पानी की सजा हो जाती थी, उन्हें अंग्रेजी सैनिक द्वारा कोल्हू के बैल की तरह तेल पेरने का काम लिया जाता था| और जो कैदी नकार देता, उसे कोड़े से तब तक मारा जाता जब तक उसकी मौत नहीं हो जाती थी|
काला पानी जेल को सेलुलर जेल के नाम से भी जाना जाता है, और जो अंडमान और निकोबार दीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनाया गया है|
कालापानी हजारों दीपों का दीप समूह अंडमान निकोबार दीप समूह में स्थित है|
काला पानी सजा की शुरुआत 1857 में हूं शुरू हुई थी|
काला पानी जेल में एक भी कैदी नहीं है, क्योंकि अब इसे अंग्रेज हुकूमत से छुड़वा कर एक संग्रहालय बना दिया गया है|
सेलुलर जेल का दूसरा नाम काला पानी जेल है|
भारत के अंडमान और निकोबार दीप समूह की औपनिवेशिक जेल जिसे काला पानी जेल यानी ब्लैक वाटर कहा जाता था|
वीर सावरकर
वीर सावरकर जिन्होंने काला पानी जेल की दीवारों पर कील और कोयले से भारत का इतिहास और कविताएं लिखी थी
7 अप्रैल 1911 को नासिक जिले के कलेक्टर जैक्सन की हत्या करने के कारण वीर सावरकर को काला पानी की सजा मिली थी|
अंग्रेजों द्वारा काला पानी जेल का निर्माण 1906 किया गया था|
काला पानी जेल में मलयालम फिल्म की शूटिंग हुई थी|
सेल्यूलर जेल
काला पानी भारत देश में स्थित है, जो कि अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में बनाई गई है|
काला पानी जेल की नींव 1896 ईस्वी में रखी गई थी, जोकि 1910 में बनकर तैयार हुआ था| काला पानी का अर्थ, काला शब्द काल से लिया गया है जिसका अर्थ है मृत्यु, पानी शब्द को स्थान से लिया गया है| यानी काला पानी का अर्थ हुआ मृत्यु का स्थान| अंग्रेज सरकार द्वारा जिस भी कैदी को काला पानी की सजा दी जाती थी, वह कभी लौट कर वापस नहीं आता था|
काला पानी से कुछ जीवित कैदी भाग निकले थे, जिनमें से एक नाम कैदी नंबर 147 धीरेंद्र चौधरी जी का है|
निष्कर्ष
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने Kala Pani Ke Saza Kya Hai. इसके बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताई हुई है| इसके अलावा हमने काला पानी जेल का इतिहास, काला पानी का जेल कहां है, काला पानी जेल में कितने कैदी हैं, काले पानी की सजा कब समाप्त हुई, काला पानी की सजा कब और किसने शुरू की आदि के बारे में बताया हुआ है| इसके अलावा अगर आप काला पानी की जेल और सजा से संबंधित कुछ पूछना चाहते हैं, तो कमेंट करके पूछ सकते हैं|
5 thoughts on “काला पानी की सजा क्या हैं? काला पानी का जेल कहां हैं और इतिहास की पूरी जानकारी”