अतिक्रमण हटाने के लिए आवेदन पत्र कैसे लिखें? : अतिक्रमण हटाने के नियम

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हेलो दोस्तों आज हम अपने आर्टिकल के द्वारा यह बताने जा रहा हूं कि अतिक्रमण हटाने के लिए तहसीलदार या कलेक्टर के लिए आवेदन पत्र कैसे लिखें? अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ रूल्स भी है जिसको अपनाना पड़ता है। आज हम अपने आर्टिकल के द्वारा बताएंगे कि वह कौन सा नियम है जो अतिक्रमण हटाने के लिए आवेदन पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य है।

वह नियम अपनाकर हमारे द्वारा बताए गए रूल्स को फॉलो करके आप तहसीलदार या कलेक्टर को पत्र लिखते हैं। तो उनको आसानी से अपना पत्र सौंप सकते हैं। संपूर्ण जानकारी के लिए आपको हमारे आर्टिकल को फॉलो करना होगा।

अतिक्रमण हटाने के नियम

1.मानसिक लक्ष्य निर्धारण

अतिक्रमण हटाए जाने पर प्रति ग्राम 1 हेक्टेयर हर महीने का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। इसे वर्तमान समय में यह हुआ कि प्रत्येक राजस्व अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में तहसीलदार व नायब तहसीलदार कर विभाजन हेतु कितने जिले आते हैं, उतने हेक्टेयर का अतिक्रमण हटाया जाना अनिवार्य होगा।

2.प्रभावी रूप में अतिक्रमण हटाना

प्रति ग्राम १ हेक्टेयर रखने के पीछे आशय है, कि इन अतिक्रमण को प्रभावी रूप से हटाया जाएगा। इसके प्रभावी रूप से अनेक नियम है।

  • (क) संबंधित गांव के अतिक्रमण प्रकारण को पुख्ता रूप में महत्वपूर्ण प्रावधान अन्य विवरण को नस्ती में लिया जाएगा।
  • (ख) धारा 248 प्रावधानों के अंतर्गत महत्वपूर्ण पर पड़ताल के बाद जो अधिकार व दंड तथा अतिक्रमण के स्वरूप को हटाए जाने बाबत प्रदत्त है। उस अनुसार कार्य किए जाएंगे। उल्लेख करना चाहूंगा की धारा 248 में जब्त की गई किसी भी संपत्ति का तहसीलदार या कलेक्टर के के निर्देशानुसार अतिक्रमण हटाया जा सकता है। फसल भवन या अन्य नियम को हटाए जाने के लिए की स्थिति में लाने के लिए आवश्यक है। महत्वपूर्ण सभी कार्यों का खर्चा उसके भू राजस्व के बकाया की वसूली होगी। 5000 रूपये तक हर एक अतिक्रमण पर अर्थ दंड करने का अधिकार भी है।
  • (ग) आदतन अतिक्रमणों के संबंध में दंड बढ़ावा करने के जहां समुचित आधार हो वहां ऐसे मामले उप जिलाधिकारी अथवा कलेक्टर को भेजे जा सकते हैं। सभी अवसर प्राप्त करने के बाद जुर्माना आदेश प्रसारित कर सकता है।
  • (घ) धारा 248 ( 2 A ) अंतर्गत उपखंड अधिकारी को सिविल कारागार में ले जाने के बाद वारंट जारी किए जाने के अधिकार हैं। विभागी अधिकारी से अपेक्षा की विधि के इस प्रावधान का आयतन आराम से इस अतिक्रमण पर उपयोग किया जाए। कार्रवाई किए जाने के पहले धारा 248 के प्रावधानों के अंतर्गत सभी समुचित कारण बताओ सूचना अवश्य जारी की जाएगी तथा उसे पर कार्रवाई भी की जाएगी।

3.शासकीय रिकॉर्ड में प्रविष्टि

अतिक्रमण हटाने की आदेश की ग्राम के राजस्व अभिलेखों में प्रविष्ट की जाए। जिसमें बताया जाएगा कि किस संदर्भित आदेश जारी किए गए संबंध से अतिक्रमण का खात्मा किया जाएगा और उस पर अर्थ दंड का आरोपित भी किया जाएगा।

4.संपत्ति अर्थ दंड वसूली

अतिक्रमण हटाने के आदेश जहां अर्थपूर्ण दंड आरोपित किया जाता है वहां वसूली की निरंतर कार्रवाई भी की जाती है। और इस अतिक्रमण को तब तक समाप्त नहीं किया जाता है जब तक आरोपी अर्थदंड वसूली नहीं होता। इस हेतु नवीन प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया जाएगा।

5.मासिक समीक्षा

प्रतिमाह अतिक्रमण हटाने की तहसील जिला संभाग राज्य स्तर की क्या प्रगति रही है। इसकी समीक्षा पर तहसील के तहसीलदार जिला स्तर के कलेक्टर, विभागाध्यक्ष पर आयुक्त भू अभिलेख एवं बंदोबस्त द्वारा जारी की जाएगी।

6.शहरी/ग्रामीण अतिक्रमण

उपरोक्त सभी लक्ष्य शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कार्यरत राजस्व अधिकारियों पर लागू किया जाएगा।

अतिक्रमण की शिकायत कहां करें?

सबसे पहले आप जनसुनवाई की ऑफिशल वेबसाइट पर जाएं उसके बाद आपके सामने होम पेज ओपन हो जाएगा। यहां पर अब अनुस्मारक भेजें इसी लिंक को ओपन करना है। आपके द्वारा क्लिक करने के बाद यहां नए लिंक ओपन हो जाएगा, जिस पर आपको शिकायत संख्या दर्ज करवानी है, उसे सर्च बटन पर क्लिक करें।

गांव या कस्बों से अतिक्रमण हटाने के लिए क्या करें?

यदि गांव के जनों के द्वारा शिकायत की जाती है। अतिक्रमणकारी के रूप में पटवारी के निर्देश को जारी किया जाता है। पटवारी के निर्देश प्रतिवेदन आधार पर तहसीलदार या कलेक्टर तो आप आवेदन पत्र जारी कर सकते हैं और उन्हें गांव से अतिक्रमण हटाने हेतु शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

Note : यह अभी केवल उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वेबसाइट जारी की गई है। यदि आप किसी दूसरे राज्य से हैं हो सकता है आप ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते हैं। इसके लिए आपको प्रार्थना पत्र लिखकर अपने नजदीकी थाने में देना होगा । तो आज हम आपको जमीनी विवाद पर होने वाले अतिक्रमण के बारे में बताने जा रहे हैं।

Atikraman Hatane Ke Liye ध्यान देने वाली बातें

अगर आपके जमीन पर कोई कब्जा कर लिया है, तो आपको शिकायत पत्र लिखते समय अनेक महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान देना होगा। और अपनी शिकायत पत्र में सारी समस्या जरूर ऐड करना होगा। ताकि आपकी शिकायत पत्र पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए और आपको समय पर न्याय मिल सके।

  • शिकायत पत्र लिखते समय महत्वपूर्ण बिंदुओं को आपको जरूर शामिल करना होगा।
  • आप जिस भी विभाग को पत्र लिख रहे हैं, उनका सबसे पहले ऊपर नाम लिखना होगा।
  • शिकायतकर्ता अपना नाम व पिता का नाम जरूर लिखें।
  • जहां पर आपका जमीन है, प्लांट है, उसका पूरा डिटेल्स जरूर लिखें।
  • अगर आपके जमीन खसरा का नंबर है तो जरूर लिखें।
  • जमीन के सभी दस्तावेजो और रजिस्ट्री की सभी फोटो कॉपी अपने शिकायत पत्र के साथ जरूर संलग्न करें।
  • जिस व्यक्ति के द्वारा आपके जमीन पर कब्जा किया गया है, उसका नाम और उसके पिता का नाम और पता जरूर लिखें।
  • जमीन पर जिस दिन कब्जा किया गया, उसका दिनांक जरूर लिखें।

अतिक्रमण हटाने के लिए तहसीलदार को पत्र कैसे लिखें?

सेवा में,

श्रीमान तहसीलदार महोदय जी,
(अपने शहर/गांव या राज्य का नाम लिखें)

विषय : अतिक्रमण हटाने हेतु

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं आशीष कुमार ( आप अपना नाम लिखें)। पुत्र अखिलेश ( आप अपने पिता का नाम लिखे) राहुल नगर ( अपने गांव का नाम लिखें) का निवासी हूं। श्रीमान इस पत्र के माध्यम से यह अवगत कराना चाहता हूं गांव के कुछ दबंग लोग मेरे जमीन पर कब्जा कर लिए हैं और उसे हड़पना चाहते हैं। मेरे से विवाद करके जमीन पर मकान सामग्री रख का निर्माण कर रहे हैं। और मेरे समझाने पर गाली गलौज हुआ जान से मार देने की धमकी देते हैं। मेरे बार-बार अनुग्रह करने के बाद भी मकान का निर्माण कार्य जारी किए हैं।

अतः श्रीमान जी आपसे विनम्र निवेदन है कि इन दबंगों पर कार्यवाही करके मेरे जमीन पर मुझे न्याय दिलाने की कोशिश करें। मैं आपका सदा आभारी रहूंगा। धन्यवाद!

भावदीय
नाम :
पता :
दिनांक :

अतिक्रमण को हटाने के लिए कलेक्टर को आवेदन पत्र कैसे लिखें?

सेवा में,

श्रीमान जिलाधिकारी महोदय जी,
(अपने शहर व राज्य का नाम लिखें)

विषय : अतिक्रमण हटाने के संबंध में

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं सौरभ कुमार जिला प्रतापगढ़ का रहने वाला हूं। मान्यवर जी मैं इस पत्र के माध्यम से आपको यह अवगत कराना चाहता हूं। कि हमारे क्षेत्र के आसपास के सड़क पर दोनों तरफ काफी फुटपाथी दुकानों का जामवाड़ा हो गया है। इस स्थिति की वजह से सड़क पर काफी ट्रैफिक लगने लगी है।

अत: श्रीमान जी आपसे विनम्र निवेदन है, कि इस अतिक्रमण को हटाने के लिए जल्द से जल्द कार्रवाई करें। ताकि ट्रैफिक जाम की समस्या से छुटकारा पाया जा सके। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंगा। धन्यवाद!

भवदीय
नाम :
पता :
दिनांक :

अतिक्रमण हटाने के लिए आवेदन पत्र एसपी को कैसे लिखें?

सेवा में,

श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय जी,
(अपने शहर व राज्य का नाम लिखें)

विषय : सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने एवं अतिक्रमणकारी के कार्रवाई के संबंध में

महोदय,

आपसे विनम्र निवेदन है कि मैं प्रमोद वर्मा जिला मऊ बलिया रोड के प्लाट संख्या 8 पर मकान निर्माण कर रहा हूं। मेरे घर के बगल में सरकारी जमीन प्लाट संख्या 17,18 स्थित है। इस संयंत्र संख्या 18 पर गौरव ने कब्जा कर लिया है। जबकि प्लाट संख्या 17 पर सरकारी भवन निर्माण शुरू हो रहा था। इसे गौरव द्वारा रोक लगा दिया गया है, साथ ही मेरे मकान के आगे अवैध दीवार खड़ी करके मेरा रास्ता बंद कर दिया गया है।

अतिक्रमण से जुड़ी समस्या पहले भी अधिकारी के सामने रखा परंतु भ्रष्टाचारी में लिप्त कुछ कर्मचारी लापरवाही की वजह से जमीन अतिक्रमित हो गई। अतः श्रीमान जी उपरोक्त समस्या का समाधान करके जल्द से जल्द कार्रवाई करें, मैं आपका हमेशा ऋणी रहूंगा। धन्यवाद!

भवदीय
नाम :
पता :
दिनांक :

FAQs

1. गांव में अतिक्रमण हटाने के लिए क्या करें?

अगर गांव का कोई व्यक्ति या आपके पड़ोसी जबरदस्ती आपकी जमीन पर अतिक्रमण कर लिये है, तो आप सबसे पहले गांव के वरिष्ठ लोग जैसे- ग्राम प्रधान। इनसे कहकर अतिक्रमण हटाने का अनुरोध कर सकते हैं। लेकिन फिर भी पड़ोसी जबरदस्ती करता है, तो थाने में जाकर शिकायत कर सकते हैं।

2. अतिक्रमण की शिकायत कैसे करें?

अतिक्रमण की शिकायत थाना, तहसीलदार, जिला अधिकारी के पास लिखित आवेदन करके कर सकते हैं। अगर अतिक्रमण से जुड़ा कोई दस्तावेज है, तो एप्लीकेशन के साथ लगा देना है। 

3. अतिक्रमण कौन हटा सकता है?

अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के स्थानीय प्रशासन/नगर पालिका/नगर निगम की होती हैं।

4. कितने साल तक जमीन पर कब्जा जमाए रखने से मालिकाना हक बन जाता है?

अगर कोई विवादित जमीन है तो व्यक्ति उस पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर अदालत में मुकदमा दायर कर सकता है। आपको जान लेना चाहिए कि निजी जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 12 साल होता है। जबकि सरकारी जमीन पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 30 साल होता है।  

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